CJI BR Gavai on Judicial Terror: सीजेआई बीआर गवई ने कहा कि न्यायिक सक्रियता बनी रहनी चाहिए, लेकिन इसे न्यायिक आतंकवाद में बदलने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। नागपुर जिला बार एसोसिएशन की ओर से आयोजित एक समारोह में गवई ने यह बात कही।

नागपुर: सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने न्यायिक सक्रियता को लेकर अहम टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि न्यायिक सक्रियता जरूरी है, लेकिन इसे न्यायिक आतंकवाद नहीं बनने देना चाहिए। नागपुर जिला बार एसोसिएशन की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने यह बात कही। सीजेआई ने लोकतंत्र के तीनों स्तंभों के बीच संवैधानिक सीमाओं को बनाए रखने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हर संस्था को संविधान की ओर से तय सीमाओं के भीतर काम करना चाहिए।
'न्यायिक सक्रियता जरूरी, लेकिन न्यायिक आतंकवाद नहीं'
सीजेआई बीआर गवई ने कहा कि संसद कानून बनाती है, कार्यपालिका उन्हें लागू करती है और न्यायपालिका यह सुनिश्चित करती है कि वे संवैधानिक सिद्धांतों का पालन करें। जब संसद या विधानसभाएं ऐसे कानून बनाती हैं जो संविधान का उल्लंघन करते हैं, तो न्यायपालिका हस्तक्षेप कर सकती है। हालांकि, न्यायपालिका को दूसरे स्तंभों के कामकाज में अनावश्यक रूप से हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए।